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बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

संघ सरकार की चाल पकड़ लीजिये !


देशविरोधी नारेबाजी का इतना दुःख होता तो बीजेपी की कश्मीर सहयोगी पीडीपी इस नारे को रोज दोहराती है। खतरा तो विचार से होता है जो संघ को जेएनयू के छात्रोँ से दिख रहा है और यह उसके प्रसार में बाधा भी। अफ़सोस सिर्फ कन्हैया के गिरफ्तार होने पर भी होता है नारे लगाने वालों को क्यों नही पकड़ पायी सरकार। हर किसी को कन्हैया के गिरफ्तारी से ठीक पहले दिए उस भाषण को सुनना चाहिए जो जिसमे उसने उसने संघ पर हमला बोला था। देश की तमाम शिक्षण संस्थाओ में हो रहे भगवा दखल पर चोट की थी।
रोहित वेमुला की मौत की घटना को दोहराया था। जहाँ उसने स्मृति ईरानी की उन चिट्ठियों का जिक्र किया था जो उन्होंने छात्रों पर कार्रवाई करने के लिए वीसी को लिखी थी। देश के विरोध में नारेबाजी वालों पर कार्रवाई हो हर कोई चाहता है लेकिन संघ सरकार की उस चाल को भी पकड़ लीजिये जिसमे गृह मंत्री एक फर्जी ट्वीट के जरिये पूरी जेएनयू को आतंकी हाफिज सईद से जोड़ देते हैं।

सवाल देशद्रोह से कई बड़ा उस चाल का है जिसमे जनता को यह सन्देश देना चाहती है कि वह सबसे बड़ी देशभक्त है लेकिन निशाना उस विचार पर है जो देश में संघ के प्रसार में बाधा है। इसको समझने के लिए आपको मद्रास के पेरियार स्टडी सर्कल पर प्रतिबन्ध से लेकर, एफटीआईआई पुणे, रोहित वेमुला का मामला और वीएचयु के गांधीवादी प्रोफ़ेसर संदीप पांडेय पर हुई कार्रवाई को समझना होगा। इंडियन एक्सप्रेस की खबर बताती है कि जेएनयू का नया वीसी चुना गया व्यक्ति संघ से जुड़ा रहा था। कुछ ही समय पहले जब बाबा रामदेव को जेएनयू में छात्रों में बीच एक सभा करने के लिए भेजा जा रहा था तो छात्रों ने यह कहकर इंकार कर दिया था कि उन्हें धर्म के आधार पर ज्ञान नही चाहिए। डीयू में सुब्रमण्यम स्वामी को इसी तर्ज पर राममंदिर से सम्बंधित सभा के लिए भेज गया वहां भी जोरदार विरोध हुआ।

दरअसल देश के तमाम शिक्षण और ऐसे संस्थान जहाँ से देश की नयी पौध निकलती है वहाँ कब्ज़ा किया जा सके तो संघ के प्रसार की राह और भी आसान हो जायेगी। संघ के लिए पहला ऐसा मौका है जब जाँच एजेंसियां उसकी सरकार के इशारे पर चलेंगी, पुलिस उसके हाथ में है, यांनी समूची सत्ता अगर उसके हाथ में है तो देश के लोग उसकी देशभक्ति के झांसे में आराम से आ जायेंगे, जो जेएनयू मामले में दिख भी रहा है।