इतिहास के लिहाज से 31 अक्टूबर का दिन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज देश के दो महान व्यक्तित्वों को पूरा देश याद कर रहा है, इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि और सरदार पटेल की की जन्मतिथि और आज के दौर में राजनैतिक पार्टियों द्वारा उन्हें कैसे याद किया जा रहा है, ये भी जरा देखिये, 31 अक्टूबर 2013 को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात की नर्मदा नदी पर स्थित सरदार सरोवर बांध पर लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की मूर्ती, "स्टेचू ऑफ़ यूनिटी" का उनकी जन्म तिथि पर शिलान्यास करने जा रहे हैं, अपने अनेको भाषणो में मोदी पटेल का ज़िक्र भी करते रहे हैं, मोदी ने अपने भाषण में यहाँ तक कहा है कि काश सरदार साहब देश के पहले प्रधानमंत्री होते तो देश कि स्थिति आज कुछ और होती, बीजेपी के रविशंकर कहते है कि देश कि देश की ज्यादातर रियासतों को विभाजन के बाद सरदार पटेल ने ही सम्भाला था, और कश्मीर को नेहरू जी ने हैंडल किया था इसलिए वहाँ आज भी विवाद जारी है, सरदार पटेल गुजरात में जन्मे एक खांटी हिन्दू थे, तो क्या भाजपा पटेल को अपने पाले में डालकर देश में एक नयी सियासत को जन्म दे रही है, लेकिन एक दूसरा सच यह भी है कि गांधी नेहरू और पटेल ने ही भारत को एक धर्म निरपेक्ष देश बनाने का सपना देखा था और और गांधी जी के सबसे करीबियों में सरदार पटेल माने जाते थे, जब 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी कि हत्या की तो देश के गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ही थे, और उन्होंने इस बात को स्वीकार किया था कि सुरक्षा में चूक से गांधी जी की हत्या हुई, महात्मा गांधी कि मौत से सरदार पटेल बड़े सदमे में थे और उसके कुछ ही महीने के बाद सरदार सरदार पटेल को दिल का दौरा पद गया था, यहाँ तक कि हत्या में हिंदू चरमपंथियों का नाम आने पर पटेल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को प्रतिबंधित कर दिया और संघ संचालक एमएस गोलवरकर को जेल में डाल दिया गया। रिहा होने के बाद गोलवरकर ने उनको पत्र लिखे। 11 सितंबर, 1948 को पटेल ने जवाब देते हुए संघ के प्रति अपना नजरिया स्पष्ट करते हुए लिखा कि संघ के भाषण में सांप्रदायिकता का जहर होता है.. उसी विष का नतीजा है कि देश को गांधी जी के अमूल्य जीवन का बलिदान सहना पड़ रहा है। वही कांग्रेस भी गांधी नेहरू के नाम पर इस देश के भीतत हमेशा सियासत करती रही है, और मौजूदा वक़्त में गांधी नाम ही कांग्रेस पार्टी का सबसे वोट पाने हथियार रहा है, कांग्रेस ने इसका इस्तेमाल देश में अनेको कल्याणकारी योजनाओ, सड़को, मैदानो तथा हवाई अड्डों के नाम गांधी नेहरू के नाम पर रख कर वोट खीचने का काम हमेशा किया है,
आज 31 अक्टूबर को देश कि पहली महिला प्रधान मंत्री और लौह महिला इंदिरा गांधी को भी याद करने का दिन है, इंदिरा गांधी जैसा ब्यक्तित्व देश में सदियों में एक आध बार ही पैदा होती है, उनकी कुशल राजनीति और क्रांतिकारी फैसलों के कारण ही देश ने पकिस्तान को युद्ध में हरा कर दो टुकड़ो में बाँट दिया था, इंदिरा गांधी की हत्या 31 अक्टूबर 1984 को कर दी गई। इनके पूरे राजनीतिक जीवन में ढ़ेर सारे विवाद जुड़े। इनका व्यक्तिगत जीवन भी विवादों के साए में रहा। इन पर तानाशाही और हर हाल में सत्ता बनाए रखने का आरोप लगता रहा। इनसे जुड़ा सबसे बड़ा विवाद आपातकाल और ऑपरेशन ब्लू स्टार है। 26 जून 1975 को संविधान की धारा- 352 के प्रावधान के अनुसार आपातकालीन स्थिति की घोषणा कर दी गई। इस पर पूरे देश में काफी हो हल्ला मचा। और इंदिरा गांधी जी कि हत्या का कारण भी यही ओप्रशन ब्लूस्टार बना, लेकिन इंदिरा गांधी जैसा नेतृत्व करने वाला प्रधान मंत्री आज के दौर में बहुत मुश्किल है,