एक तरफ सरकार ने खजाने में रेवेन्यू इकठ्ठा करने के लिए हर जुगाड़ तैयार कर दिया है क्योंकि सरकार जिस तरह अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए जोर लगा रही है और जीएसटी और किसान विकास पत्र जैसी रेवेन्यू इकट्टा करने वाली योजनाएं ला रही हैं। वही दूसरी तरफ यह चौकाने वाली बात जरूर हो सकती है - आपने उद्योगपति अडानी को ऑस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री के साथ जरूर देखा होगा लेकिन यह नहीं सोचा होगा कि साथ थे क्यों ? दरअसल खबर आई है, अडानी अपना कारोबार अब ऑस्ट्रेलिया में भी फैला रहे हैं।
नारा मेक इन इंडिया का है इसलिए देश का पैसा मेक इन ऑस्ट्रेलिया हो तो बात कुछ चौकाने वाली जरूर लगती है। हालाँकि कहा कांग्रेस ने है आप शायद भरोषा न करें लेकिन असल बात यह है कि अदाणी समूह को ऑस्ट्रेलिया में माइनिंग के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने 6200 करोड़ रुपये लोन दिया है। छह मल्टिनैशनल बैंकों ने देश के बाहर अदाणी के इस प्रॉजेक्ट को फाइनैंस करने से इनकार कर दिया, तब देश का पैसा ऑस्ट्रेलिया में लगाने का क्या औचित्य है।
किसान विकास पत्र जिसमे इस बचत योजना में निवेश किया गया धन आठ साल और चार महीने में दोगुना हो जाएगा। लेकिन आने वाले आठ साल तक पैसा वापस तो नहीं करना होगा इसलिए किसानो से पैसा मांगकर दुगना करने के लालच में खजाना भरने के मूड में है। जब मार्किट में पहले ही इस तरह की कई योजनाएं पहले ही चलायी जा रही हैं। इसलिए सरकार की नई आर्थिक नीतियों में थोड़ा अनाड़ीपन जरूर दिख रहा।
को लेकर रिजर्व बैंक ने साल 2011 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इससे ब्लैक मनी छिपाने में मदद मिलेगी। वहीँ सरकार के एक और आर्थिक सुधार के कदम, गुड्स एंड सर्विस टैक्स जैसे महत्वपूर्ण कर सुधार कानून को पास करने में अब राज्यसभा में कांग्रेस समेत कई भाजपा के विरोधी दल जो मोदी से खार खाए बैठे हैं रोड़ा डालने की तैयारी में हैं। कांग्रेस का साफ़ कहना है कि यूपीए सरकार भी जीएसटी लायी थी लेकिन भाजपा ने इसे मोदी की अगुवाई में पास नहीं होने दिया था इसलिए अब कांग्रेस का GST पर रुख क्या होगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
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किसान विकास पत्र |
नारा मेक इन इंडिया का है इसलिए देश का पैसा मेक इन ऑस्ट्रेलिया हो तो बात कुछ चौकाने वाली जरूर लगती है। हालाँकि कहा कांग्रेस ने है आप शायद भरोषा न करें लेकिन असल बात यह है कि अदाणी समूह को ऑस्ट्रेलिया में माइनिंग के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने 6200 करोड़ रुपये लोन दिया है। छह मल्टिनैशनल बैंकों ने देश के बाहर अदाणी के इस प्रॉजेक्ट को फाइनैंस करने से इनकार कर दिया, तब देश का पैसा ऑस्ट्रेलिया में लगाने का क्या औचित्य है।
किसान विकास पत्र जिसमे इस बचत योजना में निवेश किया गया धन आठ साल और चार महीने में दोगुना हो जाएगा। लेकिन आने वाले आठ साल तक पैसा वापस तो नहीं करना होगा इसलिए किसानो से पैसा मांगकर दुगना करने के लालच में खजाना भरने के मूड में है। जब मार्किट में पहले ही इस तरह की कई योजनाएं पहले ही चलायी जा रही हैं। इसलिए सरकार की नई आर्थिक नीतियों में थोड़ा अनाड़ीपन जरूर दिख रहा।
को लेकर रिजर्व बैंक ने साल 2011 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इससे ब्लैक मनी छिपाने में मदद मिलेगी। वहीँ सरकार के एक और आर्थिक सुधार के कदम, गुड्स एंड सर्विस टैक्स जैसे महत्वपूर्ण कर सुधार कानून को पास करने में अब राज्यसभा में कांग्रेस समेत कई भाजपा के विरोधी दल जो मोदी से खार खाए बैठे हैं रोड़ा डालने की तैयारी में हैं। कांग्रेस का साफ़ कहना है कि यूपीए सरकार भी जीएसटी लायी थी लेकिन भाजपा ने इसे मोदी की अगुवाई में पास नहीं होने दिया था इसलिए अब कांग्रेस का GST पर रुख क्या होगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
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