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गुरुवार, 14 अगस्त 2014

गोल्ड तस्करी के चाचा चौधरी

सुनील रावत ( रेवेन्यू न्यूज़ के अगस्त अंक में प्रकाशित)

चाचा चैधरी, जी हाँ ! कंप्यूटर से तेज दिमाग वाले चाचा चैधरी का चरित्रा कार्टून काॅमिक्स के जरिये गढ़ने वाले प्राण कुमार शर्मा नहीं रहे। कंप्यूटर से तेज दिमाग वाले अपने कार्टून चाचा चैधरी और साबू के जरिये डायमंड और गोल्ड़ तस्करों के छक्के छुड़ाने वाले प्राण के निधन के साथ ही मानो तस्करों का सुनहरा दौर फिर लौट आया है और अब तस्कर ही चाचा चौधरी बन सरकार को चकमा दे रहे हैं। सरकार ने सोने पर बंदिश क्या लगाई कि 70 के दशक का तस्करी साम्राज्य लौट आया। दरअसल भारतीयों की सोने की ललक ने पूरे दक्षिण एशिया में तस्करों का जाल खड़ा कर दिया है साथ ही रिश्वत लेने की ताक में ड्राई-पोर्टों से लेकर एयरपोर्टों तक बैठे भ्रष्ट अफसरों को भी छप्पर-फाड़ के कमाने का मौका दे दिया है। इस बात का अंदाजा आप डायरेक्टरेट आॅफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस के ताजा आंकड़ों के से लगा सकते है। इस साल जनवरी से मई के बीच करीब 400 किलो सोना जब्त किया जा चुका है जोकि पिछले वर्ष के मुकाबले चार गुना ज्यादा है। वित्त वर्ष 2013-14 में तस्करी के 148 मामले सामने आए और लगभग 245 करोड़ रुपये सोने की जब्ती की गई। वहीं वित्त वर्ष 2012-13 में केवल 40 मामले सामने आए थे और विभाग ने 45 करोड़ रुपये का सोना जब्त किया था। सूत्रों के मुताबिक इस साल जनवरी से मई के बीच 3000 किलो तक सोना हर महीने अवैध रुप से भारत लाया जा रहा है, जोकि पिछले साल के इस समय के मुकाबले 450 फीसदी ज्यादा है, लेकिन सवाल इन सबके बीच यह भी है कि जब देश के तमाम एयरपोर्टों पर एक्स-रे मशीन से लेकर स्कैन और तमाम अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद है तो तस्करी का यह आंकड़ा इस हद तक कैसे जा पहुंचा है ? जब तस्करों के सामने पूरा कस्टम विभाग और इनके पास मौजूद आधुनिक सुविधाओं से लैस टेक्नाॅलाॅजी ही फेल है तो मोटे वेतनमान पाने वाले इन अफसरों की जरूरत ही कहां है।
जबकि इसके पीछे का एक सच यह भी है कि देश के कस्टम विभाग के भ्रष्ट अफसरों से लेकर तमाम इम्पोर्ट, एक्सपोर्ट से जुड़े लोग तस्करों से कदमताल करके इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं। वैसे तो अपने देश में सोने की तस्करी का इतिहास मनमोहन या मोदी के दौर का नहीं है यह नेहरू और अंग्रेजी हुकूमत में भी चरम पर था लेकिन फर्क आज की तस्करी का सच यह है कि तब तस्कर सरकारी पहरेदारों को चकमा देते थे और आज पहरेदार ही देश को धोखा देने लगे हैं।
देश के दो एयरपोर्टों दिल्ली का आईजीआई एयरपोर्ट और मुंबई शिवाजी एयरपोर्ट पर तस्करों का तांता लगा रहा लेकिन चैन्नई, कोच्चि, और अहमदाबाद एयरपोर्टों पर भी खाड़ी देशों से कुछ कम हाजी मस्तान नही उतरे। सूत्रों की माने तो इन एयरपोर्टों पर सरकारी सेवा करने वाले अधिकारी से लेकर सफाई कर्मचारियों तक तस्करों की सेवा में लगे हुए हैं। कई मामलों में देखा गया कि तस्कर एयरपोर्ट कीे ऐसे जगहों पर सोना रख देते है जो सीसीटीवी की पहुँच से दूर रहते है और यह सोना यहाँ काम करने वाले कर्मचारियों द्वारा तस्करों तक पहुंचाया जाता है। इसी का कारण है कि एयरपोर्ट के शौचालयों से लगातार सोना जब्त किया जा रहा है। पिछले समय में जितने मामले पकडे गए उनमे तस्करों ने ज्यादातर हवाई मार्ग का इस्तेमाल किया लेकिन ऐसा नहीं है कि तस्करी हवाई मार्ग से ही हो रही है। डीआरआई को एक ऐसे मामले में जिस खबर को विस्तृत रूप से रेवेन्यू न्यूज़ ने छापा था कि आईसीडी तुगलकाबाद में 4 कंटेनरों से शराब, सिगरेट, तथा चाइनीज ब्रांड टायर पर करोड़ों की कस्टम ड्यूटी चोरी पकड़ी गई थी। अब डीआरआई को गुप्त सूचना मिली है कि उस कंटेनर में सोने की तस्करी भी की जा रही थी खैर डीआरआई इस पूरे मामले की तहकीकात कर रही है लेकिन यह बात तो साफ है कि देश का ऐसा कोई भी एयरपोर्ट या ड्राईपोर्ट नही जहां तस्करी का खेल न चल रहा हो। सी.ए.डी पर भले ही सोने की पाबंधी का लाभ मिला हो लेकिन अवैध तरीके से आने वाले इस सोने ने सोने पर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी के असर को बेअसर कर दिया है क्योंकि इम्पोर्ट से नहीं लेकिन तस्करी का सोना भारतीय सोना व्यापारियों के लिए विकल्प बना हुआ है। कस्टम विभाग और राजस्व चोरी पकड़ने वाली खुफिया एजेंसी (डीआरआई) डायरेक्टरेट आॅफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस कीे नाक में भी तस्करों नें दम कर दिया है। सोने की तस्करी का आलम इतना भयावह है कि पिछले 5 महीनों में डायरेक्टरेट आॅफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने करीब 400 किलो सोना जब्त किया है लेकिन तस्करी किया गया सोना यानि जो पकड़ा नहीं गया उस सोने का आंकड़ा जब्ती से कहीं ज्यादा है और तस्करी का मात्रा एक प्रतिशत सोना ही पकड़ा जाता है।