महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कई बार टेलीविजन कैमरों के सामने कहा था कि एनसीपी के साथ सरकार बनाने का तो सवाल ही नहीं उठता और एनसीपी को नेचुरल कर्रप्ट पार्टी और न जाने क्या -क्या कहा था। महाराष्ट्र को एनसीपी ने किस तरह लूटा यह भी कई चुनावी मंचों पर कहा था। लेकिन संयोग से अब उसी महाराष्ट्र में बीजेपी एनसीपी की सरकार बनने जा रही है। महाराष्ट्र में भाजपा की इस सरकार गठन को अब क्या बीजेपी की हार और एनसीपी की जीत कहा जा सकता है ? क्योंकि अब बीजेपी एनसीपी के साथ मिलकर ही सरकार बनाएगी। एनसीपी सत्ता से दूर नहीं रह सकती इसलिए उसने भाजपा को अपने जाल में फंसा लिया और बीजेपी सिर्फ देखती रह गई। क्योंकि अब एनसीपी का कोई भी महाराष्ट्र में कुछ नहीं कर पायेगा।
लेकिन चुनौती बीजेपी के सामने आ खड़ी हुई है। बीजेपी अब सरकार बनाते ही कई तरफ से महाराष्ट्र के राजनीतिक चक्रव्यू में फंसती नजर आ रही है। दरअसल समूचे महाराष्ट्र में बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान जिस एनसीपी के इरीगेशन स्कैम और लवासा प्रजेक्ट के भ्रष्टाचार को किसानो की भावनाओ से जोड़कर जिक्र किया और यहाँ तक कहा कि सत्ता में आये तो इनको जेल तक डालेंगे। अब उसी एनसीपी की वैशाखी पर जब सरकार चलेगी तो बीजेपी यह काम कैसे कर पायेगी ? दूसरी बड़ी मुस्किल बीजेपी की खुद की है 90 के दौर से बीजेपी अलग विदर्भ के समर्थन में रही है लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान मोदी साहब ने कहा की जब तक पीएम हूँ महाराष्ट्र को टूटने नहीं दूंगा ऐसे में अब बीजेपी करेगी क्या ? देखना होगा।
और तीसरी बड़ी मुश्किल यह है कि दरअसल दिल्ली में जब कांग्रेस के समर्थन से आम आदमी पार्टी ने सरकार बनाई तो भाजपा ने आप पर भ्रष्टाचारियों के साथ सरकार बनाने का आरोप लगाया था। अब वही कारनामा भाजपा ने कर दिखाया है। महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर तो जरूर उभरी है लेकिन शरद पवार के जाल से नहीं बच पाई। क्योंकि अब महाराष्ट्र में न सिर्फ अब एनसीपी के घोटाले दबे रह जायेंगे बल्कि कारपोरेशन भी एनसीपी के हाथों में सुरक्षित रहेगा दरअसल महाराष्ट्र में बीजेपी, शिवसेना का गठबंधन हो सकता था शिवसेना तैयार भी थी लेकिन भाजपा के घमंड ने इस संभावना को ख़त्म कर दिया। यह महाराष्ट्र की राजनीति का अहम दौर है जब शिवसेना महाराष्ट्र में अपने अस्तित्त्व की लड़ाई लड़ रही है और यही कारण है कि शिवसेना ने इसे बचाने की कोशिश की लेकिन भाजपा ने इसे नाकमियाब कर दिया शिवसेना अगर सरकार में शामिल होती तो शायद भाजपा सरकार की चकाचौंध में गायब हो जाती इस बात को उद्धव ठाकरे अच्छी तरह जानते है इसीलिए शिवसेना ने सरकार में शामिल होने के लिए अहम पदों की मांग कर दी। लेकिन भाजपा के सामने भी दोहरी मुस्किल थी क्योंकि उन्होंने जनता से जो वादा किया था जिसमे अलग विदर्भ का मुद्दा भी था और शिवसेना इसके खिलाफ थी ऐसे में भाजपा सरकार के सरे अहम पद अपने पास रखना चाहती थी। लेकिन अब विपक्ष में रहकर शिवसेना को महाराष्ट्र की जनता के सामने रखने के लिए मुद्दा मिल गया है और शायद अपनी मराठी मानुष की थ्योरी के तले खुद को नए सिरे से ज़माने और खोई हुई पहचान को पाने का मौका मिल जायेगा अब शिवसेना का मुद्दा यही होगा कि जिस एनसीपी ने महाराष्ट्र को लूटा और जनता ने भाजपा पर भरोषा किया अब वही भाजपा उसे एनसीपी के साथ सरकार चला रही है। लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि जिस मोदी ने सबसे अलग राजनीति करके अच्छे दिन लेन का वाद किया, कांग्रेस को अछूत बताया अब भाजपा,कांग्रेस में क्या अंतर रह जायेगा। पहले कोंग्रस एनसीपी की सरकार थी अब भाजपा, एनसीपी की सरकार होगी।
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शरद पंवार |
और तीसरी बड़ी मुश्किल यह है कि दरअसल दिल्ली में जब कांग्रेस के समर्थन से आम आदमी पार्टी ने सरकार बनाई तो भाजपा ने आप पर भ्रष्टाचारियों के साथ सरकार बनाने का आरोप लगाया था। अब वही कारनामा भाजपा ने कर दिखाया है। महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर तो जरूर उभरी है लेकिन शरद पवार के जाल से नहीं बच पाई। क्योंकि अब महाराष्ट्र में न सिर्फ अब एनसीपी के घोटाले दबे रह जायेंगे बल्कि कारपोरेशन भी एनसीपी के हाथों में सुरक्षित रहेगा दरअसल महाराष्ट्र में बीजेपी, शिवसेना का गठबंधन हो सकता था शिवसेना तैयार भी थी लेकिन भाजपा के घमंड ने इस संभावना को ख़त्म कर दिया। यह महाराष्ट्र की राजनीति का अहम दौर है जब शिवसेना महाराष्ट्र में अपने अस्तित्त्व की लड़ाई लड़ रही है और यही कारण है कि शिवसेना ने इसे बचाने की कोशिश की लेकिन भाजपा ने इसे नाकमियाब कर दिया शिवसेना अगर सरकार में शामिल होती तो शायद भाजपा सरकार की चकाचौंध में गायब हो जाती इस बात को उद्धव ठाकरे अच्छी तरह जानते है इसीलिए शिवसेना ने सरकार में शामिल होने के लिए अहम पदों की मांग कर दी। लेकिन भाजपा के सामने भी दोहरी मुस्किल थी क्योंकि उन्होंने जनता से जो वादा किया था जिसमे अलग विदर्भ का मुद्दा भी था और शिवसेना इसके खिलाफ थी ऐसे में भाजपा सरकार के सरे अहम पद अपने पास रखना चाहती थी। लेकिन अब विपक्ष में रहकर शिवसेना को महाराष्ट्र की जनता के सामने रखने के लिए मुद्दा मिल गया है और शायद अपनी मराठी मानुष की थ्योरी के तले खुद को नए सिरे से ज़माने और खोई हुई पहचान को पाने का मौका मिल जायेगा अब शिवसेना का मुद्दा यही होगा कि जिस एनसीपी ने महाराष्ट्र को लूटा और जनता ने भाजपा पर भरोषा किया अब वही भाजपा उसे एनसीपी के साथ सरकार चला रही है। लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि जिस मोदी ने सबसे अलग राजनीति करके अच्छे दिन लेन का वाद किया, कांग्रेस को अछूत बताया अब भाजपा,कांग्रेस में क्या अंतर रह जायेगा। पहले कोंग्रस एनसीपी की सरकार थी अब भाजपा, एनसीपी की सरकार होगी।